STATUS ★3★

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 जिनको हम प्यार करते थे उनको हमारे प्यार पर शक था
जब उनको हमपर यक़ीन अाया तो हम पर िकसी अौर का हक़ था

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 यह किसने कह िदया तुमसे के हार गए है हम
मोहब्बत में लुटाने के िलए तो अभी जान बाक़ी है

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उस वक़्त , उसके दिल में भी , बहुत दर्द उठेगा ......
हमसे बिछड़ के , जब हमारे , हमनाम मिलेंगे ........!!"

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 कितना मुश्किल होता हैं
िजस के िलए जीना अौर उसके बिना ही जीना

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पन्नों पे िलखी कहानी को तुम कुछ कुछ अधूरी सी छोड़ना
जो मज़ा इंतज़ार में है वो मज़ा इज़हार में कहाँ

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यक़ीन करो मेरा लाख कोिशशें कर चुका हूँ मैे
ना सीने की धड़कने रूकती है ना ही तुम्हारी यादें

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नाम तो लिख दूँ उसका अपनी हर शायरी के
साथ.....मगर फिर ख्याल आता है, मासूम है , 
कहीं बदनाम  ना हों जाय

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 लोगों ने रोज़ ही नया कुछ माँगा खुदा से..!
एक हम ही हैं तेरे ख्याल से आगे न गये..!

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 ना पूछ तू कुछ सवाल आज, ना मैं कुछ जवाब दूं
मैं जानती हूँ सवाल तेरा, तू जानता हैं जवाब मेरा।

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खूबियाँ इतनी तो नहीं हम में की किसी के दिल में घर कर जायेंगे...
पर भूलना भी आसन नहीं होगा ऐसा जरुर कुछ कर जायेंगे...!!!!

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 भूल गए वो हमको ये उनका अधिकार था
हम कैसे भूलते हमको तो प्यार था

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बस यही सोचकर छोड़ दी हमने िजद मोहब्बत की
अश्क़ तेरे गिरे या मेरे रोयेगी मोहब्बत ही

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लफ़्ज़ों की शरारत है, ज़रा संभाल कर लिखना तुम
मोहब्बत लफ्ज़ है लेकिन ये अक्सर हो भी जाती है.


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 "तेरे साथ ज़िंदगी है प्यारा सफ़र,
और बिना तेरे सिर्फ़ सिफ़र"


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कोई ताल्लुक न जोड़ो मगर सामने तो रहो,
तुम अपने गुरूर में खुश रहो और हम अपनी सादगी में खुश है

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 कोिशशें जब भी करता हूँ उनको भुलाने के िलए
वो ख़्वाबों में चले अाते है मुझको सताने के िलए

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 अब तो लोग भी बच के ग़ुज़र रहें हैं ऐसे !!
जैसे गिरती हुई दीवार हूँ मैं !!!!

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 एक िदन तुझको ये अादत रूलाएगी
तू जो परखता है हर िकसी को अपना बना कर

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शोक नही रहा अब हमे इश्क-ए-मोहबब्त का।
वरना आज भी गाँव की गौरी पनघट पे और शहर
की छोरी ट्यूशन पे हमाँरा इन्तजार करती ह 

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 "बादशाह" तो हम उसी दिन बन गये थे,जिसदिन
पापाजीने कहा था," ......
बेटा पिट के
मतआइयो बाकी सब कुछ हम देख लेंगे"!!..........

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कुछ इस तरह से बुनो अपनी तक़दीर के धागे,
अच्छे अच्छों को झुकना पड़े आपके आग़े......।

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 इस संसार के सपनो को यथार्थ कर ने का
सर्वोत्तम तरीका है, "जाग जाना"..

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 आंसू बहे .. कोई नहीं देखता
दुःख निराशा ग़म हो .. कोई नहीं देखता
दर्द दुविधा हो ..  कोई नहीं देखता
एक ग़लती हो .  सब देखते हैं  !!
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 "वहां नहीं जाएं जहां राह ले जाये,
वहां जाएं जहां कोई राह न हो और
अपनी छाप छोड़ जाएं।"

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 किसी को अपनी पसंद बनाना कोई बडी बात नहीं...
पर किसी की पसंद बन जाना बहुत बडी बात है.

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 न अपनों से खुलता है,
न ही गैरों से खुलता है.
ये जन्नत का दरवाज़ा है,
मेरी माँ के पैरो से खुलता है.!!


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वजाह खुबसुरत हो ये जरुरी नहि
पर जो हाथो की लकीरो में ना हो उसे अपना बनाने की जीद होनी चाहीये....

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ऐ खुदा
और कितने इम्तेहान लेगा तू मेरे..
इक बात मेरी जान लो...और मान लो
में भी बड़ा ज़िद्दी हु
आखिर तेरा ही बंदा हु
मैं कल भी नहीं हारा था
मैं आज भी नहीं हारा हु

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 कह दो किस्मत से न हम उसको पुकारेंगे कभी हम न हारे थे ..न हारे है...न हारेंगे कभी

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 मुश्किलों में भी रहकर हॅसा कीजिए,
दर्द सहकर सभी का भला कीजिए !
☺️

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 कोई नही देगा साथ तेरा यहॉं, हर कोई यहॉं खुद ही में मशगुल है।
जिंदगी का बस एक ही ऊसुल है यहॉं, तुझे गिरना भी खुद है और सम्हलना भी खुद है।

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 जो सपने देखने की हिम्मत रखते हैं;
वो पूरी दुनिया जीत सकते हैं।

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 जो मिल जाये आराम से
उसकी चाहत क्या करनी,
मंजिल तो उसको बनाओ
जो किस्मत में है ही नहीं!!

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लोग जिस हाल में मरने कि दुआ करते हैं , मैने उस
हाल में जीने की कसम खायी है .......

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कुछ कर गुजरने के लिए मौसम नहीं मन चाहिए;
रास्ते तो अपने आप बन जायेंगे बस हौंसलों का धन चाहिए।

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कुछ नही, कोई नही जो तुम्हे तुम्हारे मंझील तक पहोंचने से रोक सकें। 
शर्त बस १ है की उपर लिखे हुवे वाक्य पर पुरे दिल से तुम भरौसा रखो।

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 जंगल मैं शेर से और शहर मैं हम से
बच के रहना .....,,,,,,
शेर तो सिर्फ फाडते है मगर हम बिच
रस्ते मैं गाडते हैं...

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 ख्वाहिश भले पिद्दी सी हो,
लेकिन उसे पूरा करने के लिए,
दिल जिद्दी सा होना चाहिए !!

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 दिल को तडपाते हो ये दस्तूर कैसा है
बीमारे मोहब्बत का कहना ऐसा है
कौन कहता है की तुम चाँद जैसी हो
हकीकत तो ये है की चाँद तुम जैसा है.

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 तारो से कह दो की वो टूट के गिरे मेरे हाथो में,
मांगता है यार मेरा मुझसे उन्हें अक्सर रातो में..

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यूँ मेरी गलियों से गुजरना और देखना मुझको ,
दिल कहता है की हम अब भी आपके ख़ास हैं ।

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 माना कि बड़ा खुबसूरत हुस्न है तेरा 
लेकिन दिल ♡
भी होता तो क्या बात होती

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 इक लम्हा याद करने की कीमत यदि एक पैसा है तो...
सुनो.... अब अरबो के कर्जदार हो तुम !!

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 जब भी वो सामने आती है..
दिल मिल्खा.. जुबान मनमोहन.. और ख़याल इमरान
हाशमी हो जाते हैं..!

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सर्दी के दिन-सा लगे, मुझको तेरा रूप...
मीठी-मीठी छाँव है, ठंडी-ठड़ी धूप...

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हमारे इजहारे इश्क पे वो न जाने क्यों बेरुखी दिखा रहे है.
मेरे इश्क का इम्तिहां ले रहे या अपना सब्र आज़मा रहे है.

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सुनो जी जो डिम्पल हैं ना गालों पे तुम्हारे
बस, वही रोक लेते हैं वरना तेरे गालो से कब का लाली चुरा लेते हम .....

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सबको दीखता हे मेरा प्यार तेरे लिए..
शायद तूने ही गलत नंबर के चश्मे पेहेन के रखे हे..!!
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रूठ जाओ गर कभी आप हमसे ~ गले में बाहे डाल कर मनाना हमें आता है
कहते नही हम लबों से कुछ ~ मगर कर दें आपकी धड़कनें  मदहोश.. वो हुनर हमे भी आता है

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इस से बढकर तुमको और कितना करीब लाँऊ मैं..
कि तुमको दिल में रखकर भी
मेरा दिल❤️ नहीं लगता.....

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आँखों की मस्तियों  से
आलम का दिल ❤️ चुरा ले
तेरा बस चले तो हमदम दुनिया को ❤️
तू झुका ले


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हमें उन आँखों को देखने से फुर्सत मिले
तभी तो कोई बात हो...
और जो मज़ा उनसे हारने में है..
वो जीतने में कहा....

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मैंने सब कुछ पाया ,बस तुझको पाना बाकी है...
यूं तो मेरे घर में कुछ कमी नहीं, बस तेरा आना बाकी है-...

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मैं भी तेरे ईश्क में आतंकवादी बन जाऊं
तुझे बांहो में ले के बम से उड़ जाऊ

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कौन जीतेगा उनसे बातों में...
जिनकी आँखे क़माल करती हो..

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अच्छा नही लगता ये मनहूस अलार्म को सुनकर उठना, ⏰
काश तुम जुल्फो से पानी झटक कर हमे भी जगाती...!❤️

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वो कहते हैं न. कि कुछ सोच लो बेहतर. तो बेहतर होगा. 
मैंने सोचा कि बेहतर है तुझे सोचूं... तुझसे बेहतर क्या होगा..!!..

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 सोचता हू अपनी जान मुफ्त हे दे दू आपको
इतने मासूम खरीददार से क्या लेना देना

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आज ख़ामोश सा मंजर है यहाँ.!!
ईश्क़ तो नहीं हो गया सबको...!!

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दिल की बाते तो इशारों से होती है
अल्फाजो से तो अक्सर झगडे हुआ करते हैं

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कुछ अलग सा है हमारी मोहब्बत का हाल,
तेरी चुप्पी और मेरे ख़ामोश सवाल


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वो भी बहुत अकेले है मेरी तरह....
शायद उस को भी नहीं मिला कोई चाहने वाला..!!


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 इत्तेफ़ाक़ से ही सही मगर मुलाकात हो गयी;
ढूंढ रहे थे हम जिन्हें उन से बात हो गयी;
देखते ही उन को जाने कहाँ खो गए हम;
बस यूँ समझो वहीं से हमारे प्यार की शुरुआत हो गयी।

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 तुजे पटाने के लिये मुजे 🌙चांद तारे तोड़ने की जरूरतनहीं.....
तुजे मेरे प्यार में डालने के लिए तो मेरे स्टेटस ही काफी है

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LOVE का सूक्ष्म विश्लेषण..
अगर आकर्षण वाला हैं तो एक शारीरिक सुख के बाद नहीं रहेगा,
पर रूह वाला होगा तो ताउम्र ऐसा ही प्यार रहेंगा !!

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इतनी मतलबी हो गई हैं आँखें मेरी ,
कि तेरे दीदार के
बिना दुनिया अच्छी नहीं लगती..!

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ताल्लुक हो तो रूह से रूह का हो
दिल तो एक दूसरे से अक्सर भर जाया करते हैं।

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अजब लुफ्त अा रहा है दीदार की िदल्लगी का
कि नज़रें भी मुझ पर पर्दा भी मुझ ही से

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कुछ दिनों के वास्ते बन कर करारे िजन्दगी
क्या ख़बर थी उम्र भर तडपाआेगे इस तरह


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अा़ँखें खुलते ही याद अा जाता है तेरा चेहरा
िदन की ये पहली खुशी भी कमाल की होती है

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 ख्वाहिश ये कि तू मेरी हो,
या फिर ये ख्वाहिश तेरी हो...!

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वो बेईमान नेता सी है, हर दिल से खेलती है,
मै भोली जनता सा हूँ, हर बार उसीको चुनता हुं!!

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क्यों इतना वक़्त गुज़ारते हो देखते हुए खुद को "आईने" में;
कुछ वक़्त बैठो प्रभु के सामने खूबसूरत हो जाओगे सही "मायने" में।

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 अापको महसूस होगी तब हर इक िदल की जलन
जब िकसी धागे सा जलकर मोम के भीतर देखो

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 हर एक नाम पे नहीं रुकतीं जाना !!!
धड़कनें बहुत बा- अस़ूल होती हैं ।

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 कुछ सुनहरे ख़्वाब है मेरे पाने की हैसियत नहीं
बस दूर से देख कर खुश होना है

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इश्क़ मोहब्बत क्या हैं मुझे नहीं मालूम
बस तुम्हारी याद अाती हैं सीधी सी बात हैं

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वो कीस्सा तेरी अदा का मुजसे भुलाया ना गया,
मेरे ही दील में महेफिल ! और मुजे ही बुलाया ना गया...!!!

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 मुक़द्दर की तारीफ़ करने से भी डरते है अब तो जिससे जुड जाते है
उसे अकसर खो देने का नसीब रखते है

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 हर जुर्म पर उठती है उँगलियाँ मेरी तरफ़
क्या मेरे िसवा शहर में मासूम है सारे

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 इक छोटी सी हसरत है इस िदल ए नादान की
कोई चाह लें हमें इस क़दर िक खुद पर गुमान हो जाए

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 पुछो इस दिल से मैं तुम्हें कितना याद करता हूँ...
पागल सी हो गयी है वो कलम जिससे मैं तेरा नाम लिखता हूँ...


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अजीब फ़लसफ़ा है िजन्दगी का इधर मोबाइल  की बैटरी ख़त्म अौर उधर अकेलापन शुरू

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कौन कहता है डूबने वाले मर जाते है
हम तो जितने ही डूबे हैं तुझ में उतने ही िजए है

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ग़म ये नहीं िक वो क्यों चला गया हमसे दूर
ग़म तो ये है िक हम रोक ना पाये उसे

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 "इल्म नहीं दोज़ख़ मिले या मिले तुझे जन्नत,
बस कर तौबा गुनाहों से बन्दया, या ना मांग फिर कोई मन्नत"

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वो कहते है भुला देना पुरानी बातों को
कोई समझाए उन्हे के ईश्क कभी पुराना नहीं होता 

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 वो मोहब्बत करते है या अहसान
कुछ समझ में नहीं आता ,
पास जाते हैं तो रोक देते है हमे
और दूर जाना भी उन्हें नहीं भाता ।।

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ख़ुदा तूने तो लाखों की तकदीर संवारी है...
मुझे दिलासा तो दे, के अब मेरी बारी है...!!

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 फिर यूँ हुआ के सोने का भाव भी गिर गया !!
इक शाम जो उसनें उतारा कंगन कलाई से।

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देख भाई क्या हुआ जो हम किसी के दिल में नहीं धड़कते,
आँखों में तो बहुतों की खटकते हैं।


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